बाल पुस्तक-माला की श्रृंखला में प्रस्तुत यह लघु पुस्तिका रोचक और शिक्षाप्रद है। रामचरित मानस का उत्तर काण्ड आध्यात्मिक ज्ञान का भण्डार है। काकभुशुण्डि गरुड़ संवाद के मार्मिक प्रसंग से भगवान शंकर जी ने सत्संग भजन-भक्ति और ज्ञान की जो निर्मल गंगा बहायी है वह मानव जाति के लिए एक अमूल्य और अनुपम निधि है। एक साधारण मानव भी इसका अध्ययन और अनुसरण कर श्रेष्ठता के शिखर पर पहुँच सकता है। इस पुस्तक में वही संवाद बहुत ही सरल और सरस रूप में प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है। यह ज्ञानवर्धक, रोचक और बालक एवं विद्यार्थियों के जीवन को महान बनाने के लिए एक प्रकाश स्तम्भ का काम कर सकता है एवं विद्वानों के लिए पथ प्रदर्शक है।
प्रभु की माया किस तरह से देवों, ऋषि-मुनियों और बड़े-बड़े ज्ञानियों को भी भ्रमित कर देती है, यह प्रसंग सेवकों और भक्तों को सचेत और सजग रहकर कभी भी प्रभु के लौकिक व्यवहार से संशय में न पड़ने की चेतावनी देता है। प्रत्येक वर्ग के मानव की बुद्धि को विवेकशील बनाने के लिए सर्वगुण सम्पन्न यह एक ऐतिहासिक कहानी है।
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