'हिंदी अनादि शब्दकोश' शब्दों का एक अद्भुत कोश है, जिसमें शब्दों के अर्थ तो नहीं दिए गए है, लेकिन 16,000 शब्दों को इतने विविध आयामों और रूपों में प्रस्तुत किया गया है कि हिंदी के कई पक्षों पर काम करने वाले लेखकों, साहित्यकारों, भाषावैज्ञानिकों और भाषाकर्मियों को कई प्रकार की विशिष्ट समस्याओं का समाधान इसमें मिल जाएगा। अन्य कोशों में अकारादि क्रम शब्द के प्रारंभिक अक्षरों से शुरू होता है, लेकिन इसमें क्रम शब्द के अंतिम अक्षर से पीछे की ओर होता है। इससे शब्द-संबंधी ये खास सूचनाएँ उपलब्ध हो जाती हैं जो अन्य सामान्य कोशों में नहीं हैं।
अंत्याक्षरी में रुचि रखनेवालों के लिए यह अंत्याक्षरी कोश का काम करता है; कवियों के लिए यह तुकांत कोश का काम करता है; क्रॉसवर्ड भरनेवालों के लिए यह वर्गपहेली कोश का काम करता है, जिसमें शब्दों में अक्षरों के हर प्रयोग-स्थान के लिए उपयुक्त विकल्प उपलब्ध है। भाषा सीखने वाले शिक्षार्थियों को यह खेल-खेल में शब्द का ज्ञान बढ़ाने, शब्दरचना की प्रक्रिया को समझने और शब्दों की वर्तनी सीखने का एक सशक्त उपकरण है (जैसे-पूजाग ह, नाट्यग ह, बंदीग ह, स्नानग ह, काराग ह, बालग ह आदि)। हिंदी शब्दों में अक्षरों के वितरण की पद्धति को समझने के लिए यह कोश अनुसंधानकर्ताओं के लिए भी आधार सामग्री का काम करता है।
आज विज्ञापन और मार्केटिंग का युग है, जिसमें शब्दों के अर्थ पर कम और उनकी ध्वन्यात्मकता, राइमिंग, संगीतात्मकता और प्रभावोत्पादकता पर ज्यादा जोर दिया जाता है। अकसर भाषा का असाधारण और असामान्य प्रयोग कर चमत्कार पैदा करने की कोशिश की जाती है। शब्द का नाद, जो अभी तक पद्य की संपत्ति थी, अब विज्ञापन के जरिए आधुनिक मार्केटिंग और मनोरंजन की भाषा का अंग बन चुका है (जैसे-जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी)। ध्यान खींचने वाले शीर्षकों और भावोत्पादक नारों की रचना करने के लिए शब्दों में असाधारण अर्थ डाले जा रहे हैं।
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