भगवद्गीता का भारतीय समाज में बहुत महत्त्व है। गीता के बहुत सारे छंदोबद्ध अनुवाद हुए हैं। मैंने गीता का भावानुवाद अनुष्टुप और त्रिष्टुप मूल छंदों में हिंदी में किया है। मूल छंदों में अनुवाद का यह नया प्रयोग था। इसके बाद यह विचार आया कि युवाओं को सरल रूप से गीता का परिचय दिया जाए। इसके लिए मैंने 'हाइकु' छंद चुना।
हाइकु विश्व में काव्य का लघुतम छंद है। यह मूलतः जापानी मुक्तक काव्य विधा है। यह तीन पंक्तियों में 5, 7, 5 अक्षरों की 17 अक्षरीय रचना होती है। यह अतुकांत भी हो सकती है और तुकांत भी। हाइकु गीता में मैंने तुकांत हाइकु का प्रयोग किया है। गीता के 700 श्लोकों पर 700 हाइकु लिखे गए हैं। हर श्लोक का मूल विचार लेकर एक हाइकु लिखा है। आशा है पाठकों को यह प्रयोग पसंद आएगा।
वर्ष 2014 में मैंने हाइकु गीता को कनाडा प्रवास के समय पूरा किया। इसके लिए मैं बेटी दीप्ति और दामाद विकास का बहुत आभारी हूँ। उनके समर्पित सहयोग के बिना यह कार्य संभव न हो पाता। यह भी खुशी की बात है कि उसी बीच मेरा दोहता अरिन भी पैदा हुआ। अतः यह हाइकु गीता अरिन को सस्नेह समर्पित है।
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