प्रगतिशील कथा-साहित्य में ज्ञानरंजन की कहानियों का महत्वपूर्ण स्थान है | इस संग्रह में उनकी प्रतिनिधि कहानियाँ शामिल है जो हमारे जीवन की अनेकानेक विरुपताओ का खुलासा करती है | इसके लिए ज्ञानरंजन अक्सर पारिवारिक कथा-फलक का चुनाव करते है, क्योकि परिवार ही सामाजिक सम्बन्धो की प्राथमिक इकाई है | इसके माध्यम से वे उन प्रभावों और विकृतियों को सामने लाते है जो बुजर्वा संस्कारो की देन है | इन्ही संस्कारोवश प्रेम जैसा मनोभाव भी हमारे समाज में या तो रहस्यमूलक है या भोगवाचक | ऐसी कहानियों में किशोर प्रेम-सम्बन्धो से लेकर उनकी प्रौढ़ परिणति तक के चित्र उकेरते हुए ज्ञानरंजन अपने समय की समूची स्थिति पर टिपण्णी करते है | मनुष्य के स्वातंत्र्य पर थोपा गया नैतिक जड़वाद या उसे अराजक बना देनेवाला आधुनिकतावाद-समाज के किए दोनों ही घातक और प्रतिगामी मूल्य है | वस्तुतः आर्थिक विडम्बनाओं से घिरा मध्यवर्ग सामान्य जन से न जुड़कर जिन बुराइयो और भटकावों का शिकार है, ये कहानियाँ उसका अविस्मरणीय साक्ष्य पेश करती है |
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