परिचय
अलसी तिलहन वर्ग की वनस्पति है । प्राय: समस्त देश में यह कहीं ज्यादा व कहीं कम मात्रा में पैदा होती है । यह सर्दी के मौसम की एक बहुद्देशीय तिलहनी एव पादप रेशे वाली फसल है । इसे गेहूँ के साथ बोते है. इसकी खेती औद्योगिक आवश्यकताओं की पूर्ति, तेल एवं पादप रेशे के लिए की जाती है ।
हिन्दी में इसको अलसी; सस्कृत में अतसी, क्षुमा, उमा (शिव को प्रिय होने से इसके पुष्पों से महादेव की पूजा की जाती है), नीलपुष्पी (नीले पुष्प होने के कारण), गुजराती में अडली; मराठी में जवास; बिहार में तीली; बंगाली में मशिना, तिशी; कन्नड में आसी, मलयालम में चेरुचेना, विद्; तमिल में सिडिराई, अलीवीराई तेलगू में अतसी, अवसि, जिजालू उड़िया में पेसी, पेसु तथा अंग्रेजी में लिनसीड, फ्लेक्स सीड (Common Fax) कहते हैं । अरबी में कत्तान, फारसी में जागिरा, लैटिन में इसे लिनम् यूसेटेटिसिनम् (Linum Usitatissimum) कहा जाता है ।
अलसी चिकित्सीय उपयोगिता हमारी कई संहिताओं जैसे-चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, अष्टाग सग्रह में वर्णित है । आयुर्वेद के साथ-साथ अन्य चिकित्सा पद्धतियों जैसे यूनानी चिकित्सा एव प्राकृतिक चिकित्सा में भी अलसी का उल्लेख मिलता है तथा इसके चिकित्सीय गुणों एव महत्वों का विस्तार से वर्णन किया गया है । धार्मिक दृष्टिकोण से नवरात्रि पर्व के दौरान पाँचवे दिन हम जिस स्कंद माता की पूजा करते हैं वह वास्तव में अलसी ही है । इनकी पूजा में अलसी से निर्मित प्रसाद का वितरण किया जाता है और इसी सेउनकी पूजा भी की जाती है । आदिकाल से हमारे पूर्वज इसके महत्व से परिचित हैं तथा आदिकाल से ही विश्व में इसकी खेती होती आई है । आज भी विश्व के कई देशों जैसे अर्जेंटीना, कनाडा, मिश्र, फ्रास, भारत, रोमानिया रूस, इंग्लैण्ड एव अमेरिका में इसकी खेती होती है । प्राकृतिक वर्गीकरण के अनुसार अलसी लिंनसी कुल की औषधि है । भारत में ही नहीं फ्रास, जर्मनी आदि देशों में इसका तेल खाने के काम में आता है । प्राचीन काल में अलसी का प्रयोग भोजन, लिनन, लिनोलिम आदि बनाने के लिए होता था । रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है । इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी, टाट बनाए जाते हैं । इसके बीज से प्राय: 30 से 40 प्रतिशत तक तेल निकलता है । तेल का प्रयोग भोजन, मालिश, औषधि, साबुन, मछली जाल तथा मुख्यत: रग रोगन, वार्निश पेन्ट उद्योग में किया जाता है ।
विषय
1
अलसी
5-13
5
आयुर्वेद चिकित्सा के अनुसार अलसी
6
यूनानी चिकित्सा के अनुसार अलसी
7
आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार अलसी
8
अलसी की फसल
अलसी के गुण
9
मस्तिष्क और स्नायुतंत्र
10
2
अलसी के उपयोगी भाग
14-24
(अ) अलसी के बीज
14
बीज का रासायनिक संगठन
15
अलसी के बीज के विभिन्न उपयोग
16
अलसी के बीज की सेवनीय मात्रा
17
(ब)
अलसी का तेल
तेल का रासायनिक संगठन
19
ओमेगा-3 वरना अम्ल का शरीर में कार्य
20
आयोडीन नम्बर (Iodine Number)
ओमेगा-3 व ओमेगा-6
वसीय अम्ल की तुलना
21
अलसी के तेल के चिकित्सीय गुण
22
अलसी के तेल की सेवनीय मात्रा
23
(स)
अलसी की खली
24
(द)
अलसी के रेशे
3
अलसी सेवन करने की विधि
25-26
4
अलसी के लाभ
27-55
औद्योगिक स्तर पर
27
औषधीय स्तर पर
27-39
कैंसररोधी जोहाना बुडविग आहार-विहार
39
बुडविग आहार के अत्यत महत्वपूर्ण बिन्दु
44
महिलाओं के लिए अलसी का विशेष महत्व
47
शक्तिवर्धक प्रयोग
50
अलसी की पुल्टिस
51
अलसी का मुखवास
54
अलसी की चाय
55
अलसी के व्यंजन
56-61
अलसी के लड्डू
56
स्वादिष्ट अलसी भोग
57
अलसी की पित्री
अलसी के नमकीन सेव
58
अलसी के बिजौरे
अलसी के गट्टे
कोको की फ्लेक्स क्रीम
59
आम की फ्लेक्स क्रीम
रोज की फ्लेक्स क्रीम
चटनियाँ
60
सफेद चटनी, हरी चटनी, बैंगनी चटनी, लाल चटनी, नारंगी चटनी, अलसी की चटनी पौष्टिक पाक
61
अलसी विशेष नुस्खा
सारांश
62-63
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