रांगेय राघव हिंदी की उन विशिष्ट कथाकारों में हैं जिसकी रचनाएँ अपने समय को लाँधकर भी जीवित रहती हैं!
'आग की प्यास' रांगेय राघव का एक बहुचर्चित उपन्यास है, जिसकी कथावस्तु के केंद्र में ग्रामीण जीवन है! वहाँ की राजनिति, अर्थव्यवस्था और बदलता हुआ सामाजिक-धार्मिक परिवेश! लेकिन मुख्य कथावस्तु अर्थकेंद्रित है! समाज के कुछ इने-गिने लोगों की धन की प्यास कैसे वृहत्तर समुदाय का जीवन नारकीय बनाती जा रही है, यह इस उपन्यास में प्रभावशाली ढंग से चित्रित हुआ है! अगर शासन आम आदमी की जीवन को दूभर बना देनेवाली, दिनोंदिन बढ़ती महँगाई को नहीं रोक पा रहा है, तो इसके पीछे भी उन्हीं अर्थपिशाचों का हाथ है! वे अपनी आर्थिक शक्ति से राजनिति को नियंत्रित करते हैं!
राजनिति और अर्थव्यवस्था की इस चोली-दामन संबंध को उजागर करने की साथ-साथ लेखक ने शहरी चेतना से आक्रांत ग्रामीण जीवन का भी विश्वसनीय चित्र इस उपन्यास में प्रस्तुत किया है! कुल मिलाकर यह उपन्यास आज के गाँवों की जिंदगी का एक जीवंत दस्तावेज है!
Hindu (हिंदू धर्म) (12711)
Tantra (तन्त्र) (1023)
Vedas (वेद) (707)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1906)
Chaukhamba | चौखंबा (3360)
Jyotish (ज्योतिष) (1466)
Yoga (योग) (1096)
Ramayana (रामायण) (1383)
Gita Press (गीता प्रेस) (733)
Sahitya (साहित्य) (23197)
History (इतिहास) (8267)
Philosophy (दर्शन) (3395)
Santvani (सन्त वाणी) (2590)
Vedanta (वेदांत) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist