धर्मवीर भारती के समस्त काव्य पर मेरी परम प्रिय विदुषी शिष्या-प्राध्यापिका श्रीमती माया मलिक द्वारा किया गया प्रस्तुत शोध-अध्ययन 'धर्मवीर भारती के काव्य में अनुभूति और अभिव्यक्ति' आधुनिक हिन्दी-कविता की विशिष्ट उपलब्धि बन गया है। इस शोध-ग्रन्थ में प्रथम बार कविता के स्वरूप और धर्मवीर भारती के काव्य का अति गम्भीर, सूक्ष्म और सर्वांगीण अनुशीलन तथा मूल्यांकन किया गया है। निश्चय ही इस शोध-ग्रन्थ में धर्मवीर भारती के काव्य की अद्यतन पैठ, पकड और समझ को संवर्धित किया गया है और अनेक नये आयाम प्रदान किये गये हैं। समूचा विश्लेषण-विवेचन वस्तुनिष्ठ और तर्कसम्मत होने के कारण वैज्ञानिक, प्रामाणिक एवं विश्वसनीय बन पड़ा है। हिन्दी शोध और समालोचना के क्षेत्र में प्रस्तुत प्रयास समादर और स्वागत के योग्य है। श्रीमती माया मलिक का यह शोध-ग्रन्थ अध्ययन की व्यापकता, अन्तर्दृष्टि की सूक्ष्मता, विवेचन की गहनता और वैज्ञानिकता तथा भाषा-शैली की स्वच्छता की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण एवं मूल्यवान् उपलब्धि है। मैं हिन्दी शोध और समालोचना के क्षेत्र में ऐसी तत्त्वपूर्ण कृति का हार्दिक स्वागत करता हूँ और शुभाशंसा करता हूँ कि श्रीमती माया मलिक इसी प्रकार सारस्वत साधना में संलग्न रह कर साहित्य-भण्डार की श्रीवृद्धि करती रहें।
नाम : माया मलिक
शिक्षा : एम.ए. हिन्दी (स्वर्ण पदक-विभूषित) एम.फिल्. हिन्दी (स्वर्ण पदक-विभूषित), पी-एच. डी. (महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक)
प्रकाशित कृतियाँ : 1. आवारा मसीहा जीवनी के निकष पर, 2. अंधा युग : रचनाधर्मिता के विविध आयाम अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित लेख आकाशवाणी रोहतक से प्रसारित अनेक वार्त्ताएँ ।
सम्प्रति : प्राध्यापिका, यूनिवर्सिटी कॉलेज, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक ।
धर्मवीर भारती आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, निबन्ध, ललित निबन्ध, एकांकी नाटक, संस्मरण, यात्रा-वृत्तान्त, पत्र-लेखन, आत्म-व्यंग्य, शोघ, समीक्षा और अनुवाद आदि साहित्य की सभी विधाओं में लेखन कार्य किया है और सभी में लोकप्रियता एवं ख्याति प्राप्त की है। धर्मवीर भारती का समस्त लेखन जितना परिमाण की दृष्टि से उल्लेखनीय एवं महत्त्वपूर्ण है, उससे भी अधिक स्तर की दृष्टि से मूल्यवान है। यही कारण है कि डॉ० चन्द्रकांत बांदिवडेकर के सम्पादकत्व में, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से नौ खण्डों में 'धर्मवीर भारती ग्रन्थावली' का प्रकाशन हो चुका है और उनके समग्र साहित्य को लेकर अनेक अधिकारी विद्वानों ने महत्त्वपूर्ण शोध तथा समीक्षा-ग्रन्थ लिखे हैं।
धर्मवीर भारती पर प्रकाशित शोधात्मक-समीक्षात्मक ग्रन्थों में डॉ० चन्द्रकान्त बांदिवडेकर द्वारा लिखित धर्मवीर भारती व्यक्तित्व और कृतित्व, डॉ० हुकुमचन्द राजपाल द्वारा लिखित 'धर्मवीर भारती साहित्य के विविध आयाम', डॉ० चन्द्रभानु सोनवणे द्वारा लिखित धर्मवीर भारती सृजन के विविध रंग', डॉ० पुष्पा वास्कर का शोध-प्रबन्ध 'धर्मवीर भारती व्यक्ति और साहित्यकार', डॉ० हरिवंश पाण्डेय की पुस्तक 'धर्मवीर भारती चिन्तन और अभिव्यक्ति', डॉ० प्रभाकर श्रोत्रिय द्वारा सम्पादित पुस्तक 'धर्मवीर भारती' विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं, किन्तु जैसा कि इन ग्रन्थों के शीर्षकों से ही ज्ञात हो जाता है कि इनमें भारती के समस्त साहित्य पर दृष्टिपात किया गया है; विषय-विस्तार होने के कारण भारती की समग्र कविता का सम्पूर्ण तथा सूक्ष्म अध्ययन इनमें सम्भव नहीं था।
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