फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ प्रसिद्ध शायर थे, जिन्हें अपनी क्रांतिकारी रचनाओं में रसिक भाव (इंक़लाबी और रूमानी) के मेल की वजह से जाना जाता है। सेना, जेल तथा निर्वासन में जीवन व्यतीत करने वाले फ़ैज़ ने कई नज़्में और राज़लें लिखी तथा उर्दू शायरी में आधुनिक प्रगतिवादी (तरक्कीपसंद) दौर की रचनाओं को सबल किया। फ़ैज़ पर कई बार कम्यूनिस्ट होने और इस्लाम से इतर रहने के आरोप लगे थे पर उनकी रचनाओं में गैर-इस्लामी रंग नहीं मिलते। जेल के दौरान लिखी गई उनकी कविता ज़िन्दान-नामा को बहुत पसंद किया गया था। 1963 में उन्हें सोवियत रशिया से लेनिन शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए भी मनोनीत किया गया था।
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