प्रस्तुत पुस्तक निबन्ध संगीत वैभव विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए निबन्धों का अद्भुत संग्रह है। कलाओं की अभिवृद्धि, जहाँ संतुलित एवं सुरक्षित समाज के लिए आवश्यक है, वहीं इन कलाओं का उद्दरे य 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' है। समस्त कलाओं में श्रेष्ठ संगीत, मानव-समाज की एक कलात्मक उपलब्धि है। परिवर्तनशील युगीन परिस्थितियों के कारण, भारतीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश भी बदलता रहा। भारतीय संगीत की विकास-धारा अक्षुण्ण रूप से प्रवाहित होती रही है। स्वाधीनता के पश्चात् देश एवं समाज की निरन्तर उन्नति का प्रभाव संगीतकला पर भी पड़ा। राजा-महाराजाओं के आश्रय में पनपने वाला संगीत वैज्ञानिक उन्नति के कारण, आज आम जन तक पहुँच गया है जिसके कारण संगीत के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति हुई है। संगीत के प्रकाण्ड विद्वानों न` इस कला के पुनरूत्थान के लिए अनथक प्रयत्न कर, इसे समाज में पुनः सम्मानित स्थान पर प्रतिष्ठित किया। आज संगीत अन्य विषयों के समकक्ष शिक्षण-संस्थानों में पढ़ाया जा रहा है। संगीत के क्षेत्र में प्राचीन काल से ज्ञान का भण्डार संग्रहित है। आवश्यकता इस बात की है कि संगीत के प्रारम्भिक विद्यार्थियों एवं जिज्ञासुओं के लिए ज्ञान का संग्रहण सरल एवं बोधगम्य भाषा में किया जाए। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक में विषयों की विविधता से पूर्ण निबन्धों को सम्मिलित किया गया है, जिससे विद्यार्थी लाभान्वित हों। वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का भी यही उद्देश्य है कि शिक्षार्थी प्रारम्भ से ही अनुसन्धान की ओर प्रवृत हों।
प्रस्तुत पुस्तक 'निबन्ध संगीत वैभव' विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए संगीत-निबन्धों का अद्भुत संग्रह है। कलाओं की अभिवृद्धि, जहाँ संतुलित एवं सुरक्षित समाज के लिए आवश्यक है, वहीं इन कलाओं का उद्देश्य 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' है। समस्त कलाओं में श्रेष्ठ संगीत, मानव-समाज की एक कलात्मक उपलब्धि है। परिवर्तनशील युगीन परिस्थितियों के कारण, भारतीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश भी बदलता रहा। भारतीय संगीत की विकास-धारा अक्षुण्ण रूप से प्रवाहित होती रही है। स्वाधीनता के पश्चात् देश एवं समाज की निरन्तर उन्नति का प्रभाव संगीतकला पर भी पड़ा। राजा-महाराजाओं के आश्रय में पनपने वाला संगीत वैज्ञानिक उन्नति के कारण, आज आम जन तक पहुँच गया है जिसके कारण संगीत के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति हुई है। संगीत के प्रकाण्ड विद्वानों ने इस कला के पुनरूत्थान के लिए अनथक प्रयत्न कर, इसे समाज में पुनः सम्मानित स्थान पर प्रतिष्ठित किया। आज संगीत अन्य विषयों के समकक्ष शिक्षण-संस्थानों में पढ़ाया जा रहा है। संगीत के क्षेत्र में प्राचीन काल से ज्ञान का भण्डार संग्रहित है। आवश्यकता इस बात की है कि संगीत के प्रारम्भिक विद्यार्थियों एवं जिज्ञासुओं के लिए ज्ञान का संग्रहण सरल एवं बोधगम्य भाषा में किया जाए। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस पुस्तक में विषयों की विविधता से पूर्ण निबन्धों को सम्मिलित किया गया है, जिससे संगीत-प्रेमी एवं संगीत के विद्यार्थी लाभान्वित हों। वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का भी यही उद्देश्य है कि शिक्षार्थी प्रारम्भ से ही अनुसन्धान की ओर प्रवृत हों। यही कारण है कि आजकल स्नातक स्तर के विद्यार्थी भी इस दिशा में कार्य कर रहे हैं।
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