पुस्तक के विषय में
दुर्गा सप्तशी अथवा देवी महात्मय एक अनूठी पुस्तक है | यह शक्त धर्म का मूल आधार है | यह मंत्रो का शक्तिशाली संग्रह है | इस पुस्तक का प्रत्येक श्लोक एक गत्यात्मक शक्ति है जो मानव की प्रकृति पर विजय पाने में शक्तिशाली ढंग से कार्य करता है |
प्राचीन समय से ही माँको ईश्वर की भाँति माना गया है | ऋग्वेद भी इस तथ्य का प्रमाण देता है कि प्राचीन समय में भी यह दृढ़ विश्वास था कि विश्व कि शासक सर्व कृपालु माँ है तथा अधिकतर मानव मन पर प्रभाव डालती है पिता नहीं जो अधिक परिश्रमी समझा जाता है |
प्रकृति के तीन कार्यो सृजन, संरक्षण तथा संहार के सम्बन्ध में देवी माँ कि दुर्गा अथवा काली, लक्ष्मी, सरस्वती कि भाँति आराधना कि जाती है | वास्तव में ये तीन पृथक पृथक देवियाँ नहीं है वरन ये एक ही निराकार देवी तीन विभिन्न रूपों में है | दुर्गा पूजा अथवा नवरात्री महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती कि नौ दिन आराधना का अवसर है जब विश्वमाता कि तीन प्रकार से आराधना कि जाती है | इसमें यही समझाया गया है |
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