भगवान दत्तात्रेय से संबंधित ये सारगर्भित कथाएं श्रीमद्भागवत् में वर्णित हैं। इन को उस महान ग्रन्थ से निकाल कर एक लघु पुस्तिका के रूप में प्रकाशित करने का प्रयास किया गया है। सृष्टि में घटने वाली प्रत्येक छोटी से छोटी घटना भी गुणग्राही व्यक्ति के लिए अत्यंत हितकारक सिद्ध हो सकती है यदि वह अपनी निर्मल दृष्टि से उन का सूक्ष्म रूप से अवलोकन करे। भगवान दत्तात्रेय ने राजा यदु के सम्मुख अपने २४ गुरुओं का उल्लेख करते हुए उन से उन्होंने किस प्रकार शिक्षा ग्रहण की, मात्र इतना ही इस पुस्तक में सचित्र दर्शाया गया है। एक छोटे से बालक से ले कर बड़ी से बड़ी अवस्था वाले हर प्रकार के व्यक्ति इसे अपने लिए रुचिकर एवं उपयोगी पाएंगे। वे चाहें तो इस से मार्ग-निर्देश ले कर अपने आस पास घटने वाली छोटी बडी घटनाओं से शिक्षा ग्रहण कर अपने जीवन की दिशा बदल सकते हैं। आवश्यकता केवल सूक्ष्म दृष्टि एवं गुणग्राह्यता की है। अपने आप को संकुचित स्वार्थ के घेरे से बाहर निकाल कर परमार्थ के ऊपर दृष्टि को केन्द्रित रखों तो ये कथाएं वास्तव में हमें राग-द्वेष के द्वंद्व से ऊपर उठ कर निःसंग एवं मुक्त जीवनयापन की सुगम विधि का बोध कराने वाली सिद्ध होंगी।
पारस्परिक कलह, कटुता एवं संघर्ष से भरे आज के विषाक्त वातावरण में लोगों का मन स्वच्छ हो और उन के अन्दर सद्भाव की वृद्धि हो, उस के लिए आवश्यक है कि व्यक्ति धर्म के मर्म को समझ और सरल जीवन की प्रणाली सीखे। रोचकता के साथ साथ निष्कलुष एवं सीधा साधा जीवन व्यतीत करने का मार्ग दर्शाना इन कथाओं का विशेष लक्ष्य है। आशा है पाठक इस से पूरा पूरा लाभ उठाएंगे।
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