मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा जो 'बाल पुस्तक माला' योजना आरम्भ की गई है तथा जिसके अंतर्गत महानपुरुषों की जीवनी पर आधारित चित्र कथाओं का प्रकाशन किया जा रहा है उसी योजना की अगली कड़ी के रूप में प्रस्तुत है यह चित्र कथा- "मेरे साथ चलो"। 'मेरे साथ चलो' स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित है। स्वामी विवेकानंद ने उभरती आयु में ही संकल्प लिया था कि वे अपने महान देश 'भारत' की महान संस्कृति और परम्पराओं तथा उससे जुड़े धर्म का संदेश जन-जन तक पहुंचायेंगे। इसके लिए वे समूचे भारत का भ्रमण कर ऐसे युवकों को तलाश करेंगे जो अपना पूरा जीवन मानव जाति की सेवा से जुड़े इस मिशन को पूरा करने में लगा सकें। स्वामी विवेकानंद ने पूरे देश का भ्रमण किया और फिर विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका के शिकागो नगर में गये। वहां उन्होंने अपने महान सम्बोधन से विश्व धर्म मंच पर विजय पताका फहराई। भारत से आये युवा संन्यासी के मुंह से धर्म की नई तथा तर्कसंगत परिभाषा सुनकर सारा विश्व चौंक उठा और उन्हें अनेक देशों ने अपने यहां आमंत्रित किया। स्वामी विवेकानंद सभी प्रमुख पश्चिमी देशों में गये। वहां उन्होंने धर्म की व्याख्या की और भारत की ओर से ऐसे केन्द्रों की स्थापना की जहां से यह संदेश निरन्तर मनुष्य जाति को मिलता रहे। स्वामी विवेकानंद के बचपन से लेकर महानिर्वाण प्राप्त करने तक की कहानी को लेखक ने इस चित्र कथा में चित्रित किया है। देश के किशोर तथा युवाओं को देश- भक्ति तथा धर्म की प्रेरणा देने वाली यह पुस्तक निश्चय ही हिन्दी चित्र कथा साहित्य के बीच अपना महत्वपूर्ण स्थान बनायेगी तथा युवाशक्ति को प्रेरित करेगी ऐसी आशा है।
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist