नम्र निवेदन
'बालकोंके कर्तव्य' नामक इस पुस्तिकामें ब्रह्मलीन श्रद्धेय श्रीजयदयालजी गोयन्दकाके प्रभावशाली बालकोपयोगी दो निबन्धोंको प्रकाशित किया गया है। इनमें हमारी पवित्र भारतीय संस्कृतिके अनुसार बालकोंके जीवनको शुद्ध, समुन्नत तथा सुखी बनानेवाले कर्तव्यका बड़ा ही सुन्दर शास्त्रीय बोध कराया गया है। आजकी बढ़ती हुई अनुशासनहीनता एवं उच्छृंखलताओंके वातावरणमें इस पुस्तिकाके प्रचारसे बहुत कुछ सुधार हो सकता है। अतएव इसके प्रचारका जितना भी प्रयास हो, उतना ही उत्तम है।
विषय -सूची
1
बालकोंके कर्तव्य
5
2
बालकोंके लिये कर्तव्य तथा ईश्वर और
परलोकको माननेसे लाभ एवं न माननेसे हानि
63
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