प्रस्तुत लघु कथा-संग्रह "चमत्कारी चिकित्सक" अपने देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति के कुछ चिकित्सकों के जीवन तथा उनकी अद्भुत कृतियों का संक्षिप्त परिचय देता है। पुस्तक रोचक एवं ज्ञान-वर्द्धक है, साथ ही अपने प्राचीन गौरव का स्मरण भी दिलाती है। आयुर्वेद आज भी एक मान्य चिकित्सा प्रणाली है और अनेक ऐसे रोग जिनका उपचार या निदान एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति से नहीं हो पाता, आयुर्वेद की औषधियों से ठीक होते हैं। आज आवश्यकता है इसमें कुशल अनुसंधान की तथा अश्विनीकुमारों, आत्रेय पुनर्वसु एवं कुमारभतू जैसे सच्ची लगन वाले खोजी साधकों की जो अपने परिश्रम से इसे पुनः प्रतिष्ठा के सर्वोच्च शिखर तक पहुंचा सकें।
स्वस्थता के प्रसंग में अश्विनीकुमारों का यह मंत्र उल्लेखनीय है-
"वीणा के स्वर मधुर होते हैं, उस मधुरता को पाने के लिए स्वरों को नहीं पकड़ा जा सकता, इसलिए वीणा को पकड़ो। बजते हुए शंख की ध्र्ध्वान नहीं पकड़ी जा सकती, इलिए शंख को पकड़ना होगा। इसी प्रकार विश्व में बिखरे हुए स्वास्थ्य को तुम नहीं बटोर सकते। स्वस्थ रहना है तो रोगों की पहुंच से परे स्वस्थ और सुखी रहने वाले आत्म-तत्त्व को प्राप्त करो, क्योंकि स्वास्थ्य और सुख का मूलमंत्र वही है।
इसी प्रकार आत्रेय पुनर्वसु का निम्न कथन भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है-
"जीवन का स्वास्थ्य केवल भौतिक तत्वों पर ही निर्भर नहीं है। हमारे विचार और क्रियाओं से जीवन संचालित होता है। विचारों और क्रियाओं में दोष है तो मन और शरीर दोनों रुग्ण हो जाते हैं। जब तक उनमें निर्मलता नहीं आती, तबतक औषधि काम नहीं करेगी।
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