पुस्तक के विषय में
स्वामी सहजानंद सरस्वती
पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण अंचल में जन्मे नवरंग राय ने बचपन से ही किसानों की समस्याओं और विवशताओं को नजदीक से देखा था। नियति ने उन्हें सं न्यास की ओर अग्रसर कर स्वामी सहजानन्द सरस्वती बनाया। लेकिन संन्यास ग्रहण करने के बावजूद वे विदेशी शासकों के विरोध में खड़े हो ने के साथ-साथ छोटे किसानों एवं भूमिहीन मजदूरों के हितों के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे। किसान-मजदूरों को आजादी की लड़ाई से जोड़ने का श्रेय स्वामीजी को जाता है।
ओजस्वी एवं वीतरागी स्वामी सहजानन्द सरस्वती जीवन भर अपने सिद्धा तों पर अडिग रहे। उन्होंने अपने सिद्धान्तों की कीमत पर कभी समझौता नहीं किया। आशा है कि पाठकों को श्री राघवशरण शर्मा द्वारा गई इस पुस्तक से इस प्रेरणा पुरुष के के जीवन की सही जानकारी मिलेगी ।
विषय-सूची
1
जन्म और बचपन
2
संन्यास
4
3
शास्त्र-मंथन
8
सामाजिक कार्य
10
5
राजनीति में प्रवेश
15
6
जेल के अनुभव
23
7
किसान संघर्ष की पृष्ठभूमि
34
किसान हलचल
51
9
किसान आदोलन
63
किसान क्रांति का ज्वार
127
11
किसान सभा और राष्ट्रीय राजनीति
145
12
स्वामी जी का साहित्य
155
13
राजनीतिक दलों से मतभेद
208
14
रामगढ़ कांग्रेस की पृष्ठभूमि
220
भारतीय राष्ट्रीयता का उत्स और राजनीतिक दल
241
16
सांस्कृतिक नवजागरण में किसान सभा का योगदान
263
17
स्वामी जी और सुभाष चंद्र बोस
269
18
संयुक्त मोर्चा
277
19
किसान सेवक
281
20
उपसंहार
284
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