गांधी जी को लेकर कितने ही किस्से-कहानियाँ बन चुकी हैं। उन्हें जिन्होंने देखा नहीं है, खासतौर से आजकल के बच्चों ने, वे ज़रूर सोचते होंगे कि वह कोई बहुत ही अनोखे व्यक्ति या अलौकिक पुरुष थे जिन्होंने बड़े-बड़े काम किए। इसलिए उन लोगों के सामने उनके जीवन की मामूली झाँकियाँ रखना जरूरी है। इस किताब में यही किया गया है।
सुनकर ताज्जुब होता है कि वह कितनी चीजों में दिलचस्पी लेते थे, और जब दिलचस्पी लेते थे तो पूरी तरह लेते थे। उनकी यह दिलचस्पी दिखावा मात्र नहीं होती थी। जिन चीजों को मामूली या छोटी चीजें समझा जाता है, उनको भी वह बहुत लगन और कुशलता के साथ करते थे, और यही बात उनकी इंसानियत को उजागर करती है। उनके चरित्र का यही आधार था।
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