"बाल पुस्तक माला" की अगली कड़ी के रूपमें 'बचाने वाला है भगवान' नाम की यह सचित्र लघु पुस्तक प्रस्तुत है। होली के अवसर पर प्रति वर्ष प्रायः सर्वत्र ही "होलिका-पूजन" होता है। होलिका के बारे में यह कथा-प्रचलित है कि वह प्रहलाद को लेकर चिता में इसलिए बैठी थी कि उसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। वह समझती थी कि प्रह्लाद जल जायगा, वह बच कर निकल आएगी, किन्तु हुआ इस के विपरीत, वह जल गई प्रह्लाद का बाल भी बाँका न हुआ। यदि यह सत्य है तो प्रति-वर्ष होलिका पूजन क्यों? इस पुस्तक में कथा जिस रुप में वर्णित है वह अधिक तर्क-संगत और सत्य प्रतीत होता है। संभवतः "होलिका पूजन" का यही रहस्य है कि भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को बचाने हेतु होलिका ने अपने को चिता में भस्म हो जाने दिया।
पुस्तक रोचक और बाल-मन को प्रभावित करने वाली है। बुराई पर अच्छाई और सत्य की विजय, अहंकार और वैमनस्य का दुष्परिणाम तथा भक्त-वत्सल भगवान द्वारा भक्त की रक्षा को दर्शाने वाली यह कथा इस सचित्र पुस्तक के माध्यम से हमारे बालकों को सात्विक, सच्चरित्र, निर्भीक और भगवान की ओर उन्मुख बनाने में सहायक सिद्ध होगी, इसी आशा व विश्वास से हम इसे प्रकाशित कर रहे हैं।
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