बाबू केदार सिंह के कंधे पर बैठकर मेरा 'वर्णन' उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्य प्रदेश में स्थित अवधूत भगवान राम के अनेक आश्रम-स्थलों का परिभ्रमण कर आया, किन्तु मैं अभी अपने कमरे में औघड़-वियोग की माला गिन रहा हूँ। श्री सिंह जी की दौड़ जहाँ सुस्ता रही थी, वहीं मेरे छहाने का संयोग बना। सम्पर्क बढ़ने पर उन्होंने मेरी कलम में 'औघड़ की गठरी' किताब रख दी।
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