अंतर्राष्ट्रीय वास्तु एसोसिएशन (रजि.)के संस्थापक अध्यक्ष एवं विश्वविख्यात वास्तुशास्त्री डॉ.भोजराज द्धिवेदी ने भारत एवं विदेशों में वैदिक वास्तुविज्ञान को जन-जन तक पहुंचने में अपूर्व योगदान दिया है| ज्योतिष, यंत्र-मंत्र-तंत्र एवं कर्मकाण्ड विषय को लेकर डॉ. द्धिवेदी की अब तक 129 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है| अकेले वास्तुशास्त्र को लेकर हिंदी- अंग्रेजी में दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है| अकेले वास्तुशास्त्र पर उनकी यह ग्यारहवीं पुस्तक एवं ज्योतिष, यंत्र-मंत्र-तंत्र की श्रृंखला में 129 वी पुस्तक पाठको के हाथ में है| वैदिक वास्तु विज्ञान के अग्रगण्य विद्धान् होने के कारण तथा पाश्चात्य वास्तुशास्त्र, फेंग सुई के भी सिद्ध-हस्त सलाहकार होने के कारण उन्हें भारत एवं विदेशों में दूर- दूर तक जाना होता है| देश- विदेश में अनेक वास्तु सम्मेलनों, ऐम्पोज्यिम, आडिओ -विज्यूल, उनके प्रवचन होते रहते है| अतः हज़ारो- लाखो की संख्या में जिज्ञासु लोग तरह -तरह के प्रश्न पूछते है| कई प्रश्न बड़े रोचक एवं ज्ञानवर्धक होते है| "वास्तु जिज्ञासाएं और समाधान ", एक ऐसी पुस्तक है जो आम पाठक की जिज्ञासाओं को खोलतीं है| आम व खास वयक्ति के मन में वास्तु को लेकर अनेक प्रकार के प्रश्न उमड़ते - घुमड़ते है| पर उनका समाधान कहीं नहीं मिलता| इस विषय में यह पहली पुस्तक है जो आम आदमी के मन-मस्तिष्क में उठने वाली शंकाओं का सुन्दर व सटीक समाधान प्रस्तुत कर रही है|
"युग पुरुष" के रूप में वन्दित विद्धान् लेखक की एक अन्य पुस्तक "ज्योतिष प्रश्नोत्तरी " को प्रबुद्ध पाठकों ने मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की, ह्रदय में सराहा, फलत: उसके अनेक संस्करण छपे | इसी श्रृंखला में वास्तुशास्त्र व फेंग सुई को लेकर प्रश्नोत्तरी शैली में यह पहली पुस्तक है| जिसे प्रस्तुत करते हुए हमे बड़ी प्रसन्ता एवं गौरव का अनुभव हो रहा है|
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu (हिंदू धर्म) (12551)
Tantra ( तन्त्र ) (1004)
Vedas ( वेद ) (708)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3354)
Jyotish (ज्योतिष) (1455)
Yoga (योग) (1101)
Ramayana (रामायण) (1390)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23143)
History (इतिहास) (8257)
Philosophy (दर्शन) (3393)
Santvani (सन्त वाणी) (2593)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist