पुस्तक के विषय में
यह एक ऐसे सरल, विनम्र और प्रभु-प्रेमी की जीवनी है जो यह मानते हैं और जिनकी यह शिक्षा है कि भगवान को पाने का रास्ता है- भगवान को प्रेम करना और उसकी सृष्टि से प्रेम करना।
कई लोग उन्हें संत मानते हैं। अपने हज़ारों अनुयायियों के लिए वे प्रेम की मूर्ति हैं, आकाश का वो चमकता सितारा है जो एक मित्र है, एक मार्गदर्शक है-ध्यान रखने वाला, प्रेम करने वाला मित्र।
दादा स्वंय को एक राही कहलवाना पसंद करते हैं-ऐसा राही जो आध्यात्मिक ज्ञान के इच्छुक सह यात्रियों की तलाश में है।
भूमिका
साक्षात स्नेह और अनुराग की अनुभूति करवाने वाले दादा जे. पी. वासवानी मानों प्यार का पर्यायवाची ही हैं । एक मध्यम से कद के इस आदमी का व्यक्तित्व हिमालय से भी ऊँचा है । इनकी रेशमी आवाज इतनी सौम्य है कि जैसे हवा का कोई मधुर सा झोंका । इनके शब्द इतने हृदयस्पर्शी, हैं कि जैसे कोई बेचैन दिल को हलके से स्पर्श से सहला रहा है । इनके प्यार भरे संगीत में इस विश्व को एक नई दिशा देने की शक्ति है ।
इनकी निकटता में इनके विनम्रता जैसे महान गुण से हम इस तरह आकर्षित होते हैं कि मत्रमुग्ध हो उसे अपनाने का संकल्प लेने के लिये विवश हो उठते हैं । इनका बहुत ही सरल संदेश है... प्यार, प्यार और प्यार । प्यार उनसे भी, जो आपको प्यार नहीं करते । अगर आपको कोई प्यार नहीं करते । अगर आपको कोई आग में भी फेंक दे तो आप कुंदन की तरह कई गुना चमक कर बाहर आयेंगे।
इस पुस्तक के पृष्ठों पर ताना-बाना गुंथा गया है इस महान आश्चर्यजनक वैज्ञानिक से संत बने ऋषि की जिंदगी के प्रेरणादायक प्रसगों का । उनकी शिक्षाओं का । ये साधु वासवानी मिशन के संचालक हैं जो बिना किसी आर्थिक लाभ के शिक्षा और सामाजिक कल्याण की कई शाखायें भारत ही नहीं परंतु विश्व स्तर पर चलाते हैं।
पुस्तक का एक भाग समर्पित है दादा के उन अनमोल वचनों को जिनमें दादा जे. पी. वासवानी ने एक सरल भाषा में बहुत ही सुदर रुप में प्रेषित किया है । दूसरे परिच्छेद में दादा की बुद्धिमत्ता और हाज़िरजवाबी की झलकियाँ है । ये हमें उनके हँसमुख और विनोदप्रिय व्यक्तित्व के दर्शन करवाती हैं।
इस पुस्तक में दादा के उन अनमोल चित्रों को भी प्रकाशित किया गया है जो हजारों शब्दों से कहीं ज्यादा मुखर हैं । इससे दादा के चरित्र को पढ़ना एक अनोखी अनुभूति होगी ।
हम अत्यंत आभारी हैं भी वेस वाजू के (जो अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ''भारत रत्न'' जो हाँगकाँग से छपती है के लेखक हैं।) एक विद्वान, सरल और प्रेरणास्त्रोत व्यक्ति, उन सभी के लिये जो अपनी जीवनधारा कल्याणकारी राह पर मोड़ना चाहते हैं। उनकी लेखन-कला एक साथ हृदयाग्राही, भावपूर्ण, प्रभावकारी, बौद्धिक और प्रेरणादायक है। उनकी लेखनी में एक ऐसी शक्ति है, जो पाठक के हृदय को बड़ी गंभीरता से सम्मोहित कर देती है। सही शब्दों में तो यह पुस्तक दादा जे. पी. वासवानी के चरणों में उनके हार्दिक स्नेह की भेंट है।
हम बड़ी ही श्रद्धा से यह पुस्तक हमारे पूज्य गुरु साधु टी. एल. वासवानी के चरणों में अर्पित करते हैं जिनकी कृपा से हमें ''दादा जशन पी वासवानी'' जैसा अनमोल रत्न मिला है।
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