अप्सरा 'निराला' की कथा-यात्रा का प्रथम सोपान है ! अप्सरा-सी सुन्दर और कला प्रेम में डूबी एक वीरांगना के यह कथा हमरे हृदय पर अमिट प्रभाव छोड़ती है ! अपने व्यवसाय से उदासीन होकर वह अपना हृदय एक कलाकार को दे डालती है और नाना दुष्चक्रों का सामना करती हुई अंतत: अपनी पावनता को बनाए रख पाने में समर्थ होती है ! इस प्रक्रिया में उसकी नारी-सुलभ कोमलताएँ तो उजागर होती हैं, उसकी चारित्रिक दृढ़ता भी प्रेणाप्रद हो उठती है !
इस उपन्यास में तत्कालीन भारतीय परिवेश और स्वाधीनता-प्रेमी युवा-वर्ग की दृढ़ संकलिप्त मानसिकता का चित्रण हुआ है, जो की महाप्राण निराला की सामाजिक प्रतिबद्धता का एक ज्वलंत उदाहरण है !
For privacy concerns, please view our Privacy Policy
Hindu ( हिंदू धर्म ) (12492)
Tantra ( तन्त्र ) (986)
Vedas ( वेद ) (705)
Ayurveda ( आयुर्वेद ) (1890)
Chaukhamba | चौखंबा (3352)
Jyotish ( ज्योतिष ) (1442)
Yoga ( योग ) (1093)
Ramayana ( रामायण ) (1389)
Gita Press ( गीता प्रेस ) (731)
Sahitya ( साहित्य ) (23045)
History ( इतिहास ) (8221)
Philosophy ( दर्शन ) (3378)
Santvani ( सन्त वाणी ) (2531)
Vedanta ( वेदांत ) (121)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist