मेरी अब तक की प्रकाशित सम्पूर्ण कहानियों दो खण्डों में प्रकाशित हो रही हैं, पहला खण्ड 'अन्धकूप' और दूसरा 'एक यात्रा सतह के नीचे'। वस्तुतः इन दोनों खण्ड़ों की कहानियों ग्राम जीवन की तमाम विरूपता, गरीबी और जहालत को समेटे हुए हैं। ऐसा नहीं कि आज का ग्राम जीवन सिर्फ अन्धकूप की ही संज्ञा पा सकता है, उसमें अब भी वैसा बहुत कुछ है जो जीवन में आलोक बिन्दु का कार्य कर सकता है। मेरी कहानियों पर अब तक बहुत कुछ लिखा गया है; पर प्रायः आंचलिक कहकर पिण्ड छुड़ाने की कोशिश की जाती रही है। प्रेमचन्द के बाद इतने विस्तृत और यथार्थ फलक पर पहली बार ग्राम जीवन को देखने की चुनौती स्वीकार करने के इस प्रयत्न को उसके सही परिप्रेक्ष्य में वही देख सकता है जो आज के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक अन्तर्विरोधों को देखने की सही दृष्टि रखता है।
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