सुविख्यात लेखक, विचारक और समर्पित समाज सेवी श्री शेषाद्रि बंगलौर निवासी थे | प्रतिभाशाली विद्यार्थी रहे | कॉलेज के प्राध्यापक बने | बाद में उन्होंने अपने को समाज तथा देश के लिए पूर्णतया समर्पित कर दिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने | इस निर्मित सम्पूर्ण भारत में वे अविराम यात्रा करते रहे |
एक बहुत बड़ा पाठक वर्ग उनके लेखो की प्रतीक्षा करता है क्योंकि वे उनके विविध अनुभवों और व्यापक जन-संपर्क के कारण बहुत समृद्ध होते है | उनका विवेचन और विश्लेषण व प्रस्तुतिकरण सभी कुछ अपने में अनूठा है | उनके भाषण भी विचारोददीपक होते है | सामयिक विषयो पर उनके लेख और छोटी-बड़ी बीसियो पुस्तके कन्नड़ और अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी है | कर्नाटक राज्य साहित्य अकादमी द्वारा 1982 में उन्हें पुरस्कृत भी किया गया था | उनकी रचनाओ के हिंदी तथा अन्य भाषाओ में भी अनुवाद आ चुके है |'.......और देश बँट गया' उस मालिका की उल्लेखनीय कड़ी है | वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर-कार्यवाह (महासचिव ) भी रहे |
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