भारत की अंग्रेजों से भारतीयों को ईसवी सन 1947 की स्वतंत्रता के समय से ही शासकीय दिशाहीनता और दशाहीनता के कारण देश की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं संप्रभुता खतरों के बीच फंसी रही है। देश के केन्द्रीय नेतृत्व की इसी कमजोरी की वजह से भारतीय स्वतंत्रता की पूर्व शर्त देश के दो भागों में विभाजन की थी। इसी के संदर्भ में अंग्रेजों ने भारत का विभाजन पहले किया और राजसत्ता का हस्तांतरण बाद में किया गया | शासकीय अदूरदर्शिता के कारण ही देश के विभाजन से पहले और बाद तक सांप्रदायिक दंगे हुए जिनमें लाखों निर्दोस भारतीयों को निर्दयतापूर्ण मार दिया गया | उसके बाद भी परिस्थतियाँ और ज्यादा बदतर होती चली गयीं । गत तीन- चार दशकों से भारत की केन्द्रीय राजसत्ता पर केन्द्रीय नेतृत्व राज्यों की क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टियों का कठपुतली बनकर रहा है। देश में कई दशकों से आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद और देशद्रोह चरम सीमा पर पहुँच गया है। इन्हीं चिंताओं से प्रभावित होकर बघेल खण्ड राज्य (मध्य प्रदेश) में चम्बल नदी घाटी (खादर) के शिवपुरी जिला में प्राचीन बघेलखंड राजवंश के प्रतिनिध युवा ठाकुर कर्नल शिव प्रताप सिंह बघेल (बाघेला) अपने युवा साथियों सर्वश्री कर्नल विष्णु प्रसाद यादव, कर्नल बलराम सिंह गुर्जर, कर्नल ब्रह्मप्रकाश सिंह पाल, लेफ्टिनेंट कर्नल हनुमान सिंह कुर्मी, लेफ्ट. कर्नल रामलाल सैनी / मौर्य, लेफ्ट. कर्नल गणेश बहादुर मुंडा, लेफ्ट. कर्नल कयामत खां पठान, लेफ्ट. कर्नल दुर्गावती चमारी / जाटव, लेफ्ट. कर्नल सुग्रीव सिंह जाट, लेफ्ट. कर्नल सुलक्षणा भीलिनी, मेजर जनरल पंडित परशुराम शर्मा शास्त्री आदि के साथ मिलकर और स्वेच्छिक सेवा निवृति लेकर तथा अपने-अपने पदों से त्यागपत्र देकर, स्वेच्छिक स्वयं सेवी सैन्य संगठन अखंड भारत वोलंटियर फोर्स या अखंड 'भारत स्वयंसेवक वल नामक देशभक्त सैन्य संगठन का गठन करते हैं।
अखंड भारत वोलंटियर फोर्स सर्वप्रथम भारत सरकार से अनुमति लेकर आतंक- वादियों, नक्सलवादियों, अलगाववादियों, माफियाओं. देशद्रोहियों और गद्दारों को समाप्त करता है ।
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