प्रभुधर्म के दिव्यनियुक्त संरक्षक के रूप में अपने धर्ममंत्रित्व काल के आरम्भिक वर्षों से ही शोगी एफेन्दी ने उत्तरी अमेरिका के बहाइयों को सम्बोधित अपनी प्रेरणादायक और चुनौतीपूर्ण संदेश-श्रृंखलाओं में उन पर अपनी विशेष कृपा दर्शाई और उन संदेशों में उन्होंने उनके समक्ष उन कार्यों की रूपरेखा स्पष्ट की जिन्हें निभाने के लिए उनका आह्वान किया गया था। साथ ही उन्होंने अब्दुल-बहा की दिव्य योजना के कार्यान्वयन के लिए चुने गए माध्यम के रूप में उन बहाई बंधुओं की अपनी नियति की पूर्णता और उन लक्ष्यों के बीच के पारस्परिक सम्बन्ध को भी रेखांकित किया था।
इन सभी पत्र-व्यवहारों में, एक बहाई के व्यक्तिगत जीवन से सबसे प्रत्यक्ष रूप से ताल्लुक रखने वाला अगर कोई संवाद था तो वह था 1938 में लिखित दि एडवेंट ऑफ डिवाइन जस्टिस जिसमें धर्मसंरक्षक ने प्रभुधर्म के विकास से जुड़े सभी कार्यकलापों की सफलता की दृष्टि से अत्यावश्यक आध्यात्मिक तत्वों का निरूपण किया। उन्होंने आंतरिक आध्यात्मिक जीवन पर तो खास जोर दिया ही, साथ ही मानवीय और सामाजिक सम्बन्धों पर भी बल दिया जिन्हें प्रत्येक बहाई द्वारा विकसित किए जाने और अपने दैनिक जीवन के एक अंतर्निहित अंग के रूप में अपनाए जाने की सख्त जरूरत है।
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist