गुलाब का रंग दहकती हुई आग के समान होता है, और आग का रंग भी गुलाब के रंग जैसा ही होता है; किन्तु दोनों के प्रभाव में धरती-आसमान का अंतर होता है।
गुलाब में ठंडक, ताज़गी और कोमलता होती है, जबकि धधकती हुई ज्वाला विनाश का हाहाकारी रूप धारण कर लेती है।
प्रेम बाजपेयी का वह रोमांचक उपन्यास, जिसकी घटनाएँ आप कभी भूल नहीं सकेंगे। एक ऐसी नारी की जीवन-कथा, जो गुलाब के मानिन्द थी, किन्तु उसके भीतर आग के शोले धधक रहे थे।
बेहद आसान भाषा में लिखा गया यह उपन्यास जितना रोचक है, इसकी लेखनशैली भी उतनी ही दमदार है।
प्रेम बाजपेयी एक प्रख्यात सामाजिक उपन्यासकार हैं। आपने कई दर्जन उपन्यास लिखे हैं, लेकिन सभी उपन्यास किसी-न-किसी सामाजिक समस्या पर ही आधारित हैं। आप एक सफल उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक प्रतिष्ठित सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। आपको कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी मिले हैं।
Hindu (हिंदू धर्म) (12625)
Tantra ( तन्त्र ) (1014)
Vedas ( वेद ) (706)
Ayurveda (आयुर्वेद) (1902)
Chaukhamba | चौखंबा (3353)
Jyotish (ज्योतिष) (1462)
Yoga (योग) (1100)
Ramayana (रामायण) (1387)
Gita Press (गीता प्रेस) (731)
Sahitya (साहित्य) (23148)
History (इतिहास) (8260)
Philosophy (दर्शन) (3397)
Santvani (सन्त वाणी) (2591)
Vedanta ( वेदांत ) (120)
Send as free online greeting card
Email a Friend
Manage Wishlist