अमर कहानियों के रचयिता आचार्य चतुरसेन हिन्दी कथा-साहित्य के अद्वितीय कथा-शिल्पी के रूप में जाने जाते हैं। उनकी कहानियाँ और उपन्यास हिन्दी साहित्य के इतिहास की अमूल्य धरोहर हैं।
आचार्य चतुरसेन ने बत्तीस उपन्यास और लगभग 450 कहानियाँ लिखीं। कोई ऐसा विषय नहीं है, जो इन कहानियों से अछूता रहा हो, इसलिए आचार्य चतुरसेन की सम्पूर्ण कहानियों को सिलसिलेवार एक साथ प्रकाशित करने की योजना के अन्तर्गत पाँच भागों में संकलित किया गया है।
इन संकलनों की यह विशेषता है कि ये कहानियाँ सर्वथा प्रामाणिक मूल-पाठ हैं, जो सभी पाठकों के साथ-साथ हिन्दी कहानियों के अध्येताओं और शोधार्थियों के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं।
कहानी ख़त्म हो गई सम्पूर्ण कहानियों की श्रृंखला की पाँचवीं एवं अंतिम कड़ी है। इसमें 24 कहानियाँ दी गई हैं, जो चतुरसेन के लेखन के शिखर को रेखांकित करती हैं।
आचार्य चतुरसेन शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर जिले के चांदोख में हुआ था। ये हिन्दी भाषा के एक महान उपन्यासकार थे। आचार्य चतुरसेन के उपन्यास रोचक और दिल को छूने वाले होते हैं। इनका अधिकतर लेखन ऐतिहासिक घटनाओं पर ही आधारित है। आभा इनकी पहली रचना थी। इनकी प्रमुख कृतियाँ गोली, सोमनाथ, वयं रक्षामः और वैशाली की नगरवधू इत्यादि हैं।
आचार्य चतुरसेन का कहानी-साहित्य में जो विशिष्ट स्थान है, उससे हिन्दी के पाठक भली भांति परिचित हैं। उन्होंने 1906 या 1907 से लिखना आरम्भ किया था और अन्त तक लिखते रहे। आधी सदी के अपने दीर्घकाल में उन्होंने लगभग साढ़े चार सौ कहानियां लिखीं, जिनमें अधिकांश अपने कला-वैशिष्ट्य के लिए सुविख्यात हो गई। शैली की दृष्टि से तो आपका नाम हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कहानी-लेखकों में आदर से लिया जाता है।
आचार्य जी की कहानियों के दो-तीन संग्रह बहुत पहले निकले थे, परन्तु उनका सारा कहानी-साहित्य एक जगह संकलित नहीं हो पाया था। यह एक बहुत बड़ा अभाव था, जिसकी पूर्ति के लिए आचार्य जी के ही जीवन-काल में उनके समग्र कहानी-साहित्य को पुस्तक-माला के रूप में प्रकाशित करने की एक रूपरेखा हमने बनाई थी। इतना ही नहीं, कहानियों का संकलन-सम्पादन भी उनकी देख-रेख में शुरू हो गया था और इस माला के लिए उन्होंने स्वयं 'कहानीकार का वक्तव्य' भी लिखा था (जो इस पुस्तकमाला के पहले खंड में दिया है), किन्तु दुर्भाग्यवश इस बीच उनका देहावसान हो गया।
सम्प्रति, हमारे सामने पहली आवश्यकता यह थी कि लेखक का सम्पूर्ण कहानी-साहित्य, प्रामाणिक रूप से, एक जगह उपलब्ध हो सके, जिससे हिन्दी कथा-साहित्य के पाठक आचार्य जी की कहानी कला का रसास्वादन और यथेष्ट अध्ययन कर सकें।
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