विश्व पुस्तक मेले, राष्ट्रीय पुस्तक मेले या किसी शहर के लिटफेस्ट में कोई आपसे भारत के उस गाँव का नाम पूछ ले, जिसे 'पुस्तकों का पहला गाँव' घोषित किया गया है तो आप इस प्रश्न का क्या उत्तर देंगे? आपकी तो आप जानें, लेकिन तब हम नहीं दे सके थे कोई उत्तर, जब पुणे विश्वविद्यालय में 'लोक, इतिहास और भारतीय उपन्यास' विषयक मेरे व्याख्यान के बाद एक छात्र ने यह प्रश्न पूछ लिया। मुझे लगता है कि किसी से भी यह प्रश्न पूछकर कोई भी किसी की भी बोलती बंद कर सकता है। उस दिन पुणे में उस छात्र ने मेरी कर ही दी और फिर मुझे लेकर 'पुस्तकों का पहला गाँव' दिखाने वही गया भी था। पुस्तकों के घर तो देश और दुनिया में तमाम देखे, लेकिन 'पुस्तकों का गाँव' पहली बार देखा-पच्चीस घरों में विविध विषयक पच्चीस पुस्तकालय। हर विषय की ढेर सारी किताबें, जिन्हें उस गाँव के लोगों के अलावा महाबलेश्वर और पंचगनी की यात्रा पर आने वाले पर्यटक भी देखते-पढ़ते हैं। महाबलेश्वर जाते हुए 'पुस्तकों का पहला गाँव' देखकर जी जुड़ा गया। पच्चीस घर, पच्चीस पुस्तकालय। पुस्तकों का गाँव! न कभी देखा, न सुना। सो, पुणे में उस छात्र के अचानक वैसा प्रश्न कर देने पर मेरी बोलती तो बंद होनी ही थी, लेकिन अब क्या आपकी भी नहीं हो गई? भारत से आगे विश्व का पहला 'पुस्तकों का गाँव' कहाँ है, यह भी उस दिन उस छात्र ने पूछा तो भी हम नहीं बता पाये। आपको मालूम है क्या? प्रश्न पूछकर हम कहीं आपको परेशान तो नहीं कर रहे?
दिल्ली पुस्तक मेले के बाद राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लेखकों के बीच बात चली तो हमने उनसे भी ऐसा ही कुछ पूछ लिया कि भारत में पुस्तक मेले की शुरुआत कब हुई और पहला विश्व पुस्तक मेला कब और कहाँ लगा? लगे हाथ यह भी पूछा कि दुनिया के किस देश में 'पहला विश्व पुस्तक मेला' लगा और ग्लोबल हो चुके 'विश्व ग्राम' के 'टॉप टेन' पुस्तक मेले किन-किन देशों में लगते हैं? उस दिन उन लेखकों में कोई भी हमारे किसी भी प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दे सका। अरे, शायद आपको भी कोई उत्तर सूझ नहीं रहा? चलिए, हम आपकी कुछ मदद कर देते हैं।
विश्व के 'टॉप टेन' पुस्तक मेलों में पहले नंबर का मेला जर्मनी का 'फ्रैंकफर्ट विश्व पुस्तक मेला' माना जाता है। भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई की तरह फ्रैंकफर्ट भी जर्मनी की आर्थिक राजधानी तो है ही, यूरो सेंट्रल बैंक का मुख्यालय भी यहीं है और यहीं शुरू हुआ था पहला विश्व पुस्तक मेला, जिसका इतिहास कोई पाँच सौ वर्ष पुराना है। इस मेले में प्रति वर्ष पुस्तक प्रकाशन से जुड़े दुनिया भर के लाखों प्रोफेशनल्स भाग लेते हैं।
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