किसी भी राष्ट्र अथवा समाज का उन्नयन वहाँ की शिक्षा व्यवस्था पर निर्भर करता है। शिक्षा द्वारा ही व्यक्ति का सर्वांगीण विकास सम्भव हो पाता है। शिक्षा के तेजी से बदलते परिदृश्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए शिक्षकों के व्यावसायिक संवर्धन हेतु उनमें अनेक कौशलों का विकास करना अनिवार्य है। व्यावसायिक संवर्धन के लिए अध्यापक को अच्छा व्यवसायी, अच्छा अध्यापक तथा अच्छा मनुष्य होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। जिसके लिए निरन्तर स्वाध्याय, व्यावसायिक आचार संहिता के प्रति प्रतिबद्धता, पाठ्यक्रम के विविध पक्षों का क्रियान्वयन, अधिगमकर्ता केन्द्रित शिक्षण उपागमों के प्रयोग में कुशलता, सूचना सम्प्रेषण तकनीको में नवचिंतन तथा मूल्यों के प्रति कटिबद्धता आवश्यक है। इसी विषय को केंद्र में रखकर श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के शिक्षा संकाय द्वारा दिनांक 28 फरवरी एवं 1 मार्च, 2019 को '21 वीं सदी के परिदृश्य में शिक्षकों का व्यावसायिक संवर्धन' विषय पर द्विदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गयी। देशभर के अनेक विद्वानों नेव्यावसायिक संवर्धन सम्बन्धित विभिन्न पक्षों पर अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किये। उनमें से उत्कृष्ट पत्रों, जो क्रमशः संस्कृत, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में हैं, इस पुस्तक में संकलित करके प्रकाशित किये जा रहे है।
मुझे हार्दिक प्रसन्नता है कि इस संगोष्ठी में प्रस्तुत विचार शिक्षकों के व्यावसायिक संवर्धन हेतु कौशलपरक विकास को नयी दिशा प्रदान करेंगे। शोधपत्रों के प्रकाशन से न केवल शिक्षासंकाय अपितु समग्रविद्यापीठ तथा समग्र शिक्षाजगत का मार्गदर्शन होगा। निःसन्देह इस वैचारिक मन्थन से प्राप्त निष्कर्ष प्रत्येक अध्यापक के व्यावसायिक विकास को सुनिश्चित करने में दिशानिर्देश प्रदान करेंगे। इस ग्रन्थ पुष्प को आप सभी को अर्पित करते हुए मैं स्वयं को धन्य मानती हूँ। सभी लेखकों को तथा इस पुष्प ग्रन्थ को सम्पादित करने में योगदान देने वाले सभी संकाय सदस्यों को बधाई एवं धन्यवाद देती हूँ।
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