| Specifications |
| Publisher: National Institute Of Science Communication And Information Resources, CSIR | |
| Author A. F. Mascarenhas, Rajani Nadgauda | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 80 (With Color Illustrations) | |
| Cover: PAPERBACK | |
| 8.5x5.5 inch | |
| Weight 110 gm | |
| Edition: 2016 | |
| ISBN: 9788172361594 | |
| HBG869 |
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विज्ञान के क्षेत्र में जैवप्रौद्योगिकी ने बहुत कम समय में ही अपनी एक विशेष पहचान बना ली है और प्रभावशाली प्रगति की है। इसने अनुसंधान की अनेकानेक नई दिशाएं खोली हैं। जैवप्रौद्योगिकी के रूप में हमें एक ऐसी तकनीक मिल गयी है, जो नये जीव, जैविक प्रणालियां, व्यावसायिक उत्पाद और प्रक्रियाएं विकसित करने में सक्षम है। अपनी इन क्षमताओं के कारण जैवप्रौद्योगिकी एक आशाजनक बहुविषयक विधा के रूप में उभरी है। इसमें कृषि, स्वास्थ्य, उद्योग, पर्यावरण, ऊर्जा और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रो से जुड़ी विविध समस्याओं को हल करने की असीमित क्षमता भी है। जैवप्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा सुरक्षित और अधिक प्रभावकारी टीके, तेज और विश्वसनीय प्रतिरक्षी नैदानिक रसायन और महत्वपूर्ण हार्मोन विकसित किए गए हैं; विभिन्न नाशीजीवों और पर्यावरणीय प्रतिकूलताओं के प्रति रोधी और अधिक उपज देने वाली फसलों की किस्में विकसित की गयी हैं; बागानी और बागवानी फसलों के तीव्र वानस्पतिक प्रसारण की तकनीकें खोजी गयी हैं; औद्योगिक महत्व के सूक्ष्मजीवों के अधिक उत्पादनशील प्रभेद तैयार किए गए हं; और जैविक नियंत्रण, व्यर्थ उपचार, प्रदूषण नियंत्रण, खनिज निष्कर्षण आदि की सुरक्षित और सस्ती तकनीकें भी विकसित की गयी हैं। जैवप्रौद्योगिकी ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा है, बल्कि दुनिया मर के योजनाकार, सरकारें और आम जनता भी इसकी ओर आकर्षित हुई हैं।
भारत में पिछले लगभग दस वर्षों से भारत सरकार के प्रयास से कई केन्द्रीय सेवान्मुख अनुसंधान सुविधाएं स्थापित की गयी हैं और मानव संसाधन विकास के कई नये कार्यक्रम भी प्रारंभ किए गए हैं। इनका उद्देश्य विभिन्न संस्थानों में और संस्थानों तथा उद्योगों के बीच आपसी सहयोग विकसित करना और विभिन्न स्तरों पर उच्च स्तर के प्रशिक्षित तथा दक्ष कार्मिक तैयार करना है। इन प्रयासों से देश में जैवप्रौद्योगिकी का आधार सुदृढ़ हुआ है और इस नव विकसित विधा में अनुसंधान व विकास की गतिविधियां तेज हुई हैं। हमारे वैज्ञानिकों ने पौध ऊतक संवर्धन, प्रतिरक्षी-नैदानिकी, प्रतिरक्षी गर्भनिरोधकों और अन्य टीकों, भ्रूण स्थानांतरण तकनीकी, औद्योगिक सूक्ष्मजीव विज्ञान, डी. एन. ए. फिंगर प्रिंटिंग, जैविक नाशीजीव नियंत्रण, जल-जीव पालन तथा आधुनिक जैवप्रौद्योगिकी के मूलभूत और व्यावहारिक पक्षों जैसे अनेक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
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