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पुस्तक परिचय
अशोक 'मिज़ाज' हिन्दी और उर्दू ग़ज़ल पर समान अधिकार रखने वाले वो ग़ज़लकार हैं जिन्होंने ग़ज़ल को आरम्भ से अब तक अपने अध्ययन और मनन के माध्यम से अपने दिल में ही नहीं वरन् अपनी आत्मा में उतार लिया है। वो उससे जुड़कर भी और अलग होकर भी ग़ज़ल को उससे आगे ले जाने की कामयाब कोशिश करते हैं।
अशोक 'मिज़ाज' ने ग़ज़ल में नये नये तजुर्बे किये हैं। उनकी भाषा और कहन की सहजता और सरलता के कारण उनकी ग़ज़लों में भरपूर सम्प्रेषण है। उनकी ग़ज़लें पाठकों के दिलो-दिमाग़ में घर कर जाती हैं और देर तक सोचने पर मजबूर करती हैं।
प्रस्तुत ग़ज़ल संग्रह में वो हिन्दी ग़ज़ल की एक ऐसी सशक्त आवाज़ बनकर उभरे हैं जो अपने खट्टे मीठे अनुभवों और सरोकारों के शेरों के माध्यम से अपनी अलग पहचान रखती है। उनकी ग़ज़लों का केनवास बहुत बड़ा है। विषयों की विविधता के बावजूद वो ग़ज़ल के सौन्दर्य, माधुर्य और बाँकपन को आहत नहीं होने देते। सच्ची ग़ज़ल वही है जो आज की भाषा में आज के कालखण्ड की बात करे और उसमें आज का भारत हो और भारतवासियों की मनः स्थिति का वर्णन हो। अशोक मिजाज की ग़ज़लें हमें आज के युग की तस्वीर दिखाती हैं।
लेखक परिचय
अशोक सिंहठाकुर उर्फ अशोक 'मिज़ाज'
जन्म स्थान एवं तिथि: सागर (म.प्र.), 23 जनवरी 1957,
शिक्षा : एम.एससी. (रसायन शास्त्र)
प्रकाशित पुस्तकें : समन्दरों का मिजाज (उर्दू) - शाहिद पब्लिकेशन, भोपाल, समंदरों का मिजाज (देवनागरी)- शाहिद पब्लिकेशन, भोपाल, सिग्नेचर-राम कृष्ण प्रकाशन विदिशा, गजलनामा. (उर्दू) - म. प्र. उर्दू अकादमी द्वारा वित्तीय सहायता से, ग़ज़ल 2000-शेरों का संकलन, वाणी प्रकाशन दिल्ली (सहसम्पादन), आवाज- वाणी प्रकाशन दिल्ली, किसी किसी पे ग़ज़ल मेहरबान होती है, वाणी प्रकाशन दिल्ली, मैं अशोक हूँ, मैं मिजाज भी (उर्दू) - शेरी अकादमी, भोपाल
पुरस्कार एवं सम्मान : मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी भोपाल द्वारा शिफ़ा ग्वालियरी
पुरस्कार, निश्तर खानकाही ग़ज़ल स्मृति अवार्ड बिजनौर (उ.प्र.), नई ग़ज्जल सम्मान, शिवपुरी, मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन की सागर, पन्ना, उमरिया इकाई द्वारा सम्मान, साहित्य सृजन सम्मान, साहित्य सृजन साहित्यिक संस्था नागपुर द्वारा।
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