| Specifications |
| Publisher: Bharatiya Jnanpith, New Delhi | |
| Author Qurratulain Hyder | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 355 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9.0x6.0 Inch | |
| Weight 490 gm | |
| Edition: 2010 | |
| ISBN: 9788126319107 | |
| HBR105 |
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कुर्रतुलऐन
हैदर ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित और
साहित्य अकादेमी की 'फेलो' तथा
उर्दू की महान कथाकार
कुर्रतुलऐन हैदर (जन्म: 1927) को साहित्यिक सृजनात्मकता
विरासत में मिली। उनके
पिता सज्जाद हैदर यल्दराम और
माँ नजर सज्जाद हैदर
दोनों ही उर्दू के
विख्यात लेखक थे। कई
दशक पहले उनके क्लासिक
उपन्यास 'आग का दरिया'
+ का जिस धूमधाम से
स्वागत हुआ था उसकी
गूँज आज तक सुनाई
पड़ती है। इसके बाद
उनके कई उपन्यास और
निकले जिनमें उनकी मानवीय संवेदना
प्रखर होती गयी। उनके
उपन्यास सामान्यतः हमारे लम्बे इतिहास की पृष्ठभूमि में
आधुनिक जीवन की जटिल
परिस्थितियों को अपने में
समाये हुए, समय के
साथ बदलते मानव-सम्बन्धों के
जीते-जागते दस्तावेज़ हैं। 'चाँदनी बेगम' उनका नवीनतम उपन्यास
है। उपन्यासों के अतिरिक्त उनके
4 कहानी-संग्रह और 4 उपन्यासिकाएँ भी
उनकी संवेदनशीलता और शिल्प-सौष्ठव
के परिचायक हैं। उनके कहानी
संग्रह 'पतझड़ की आवाज़' पर
उन्हें साहित्य अकादेमी ने सम्मानित किया
था। विभिन्न भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त कुर्रतुलऐन
हैदर की रचनाएँ अनेक
विदेशी भाषाओं में भी अनूदित
हो चुकी हैं। उनका
निधन 21 अगस्त, 2007 को हुआ।
निशान्त के
सहयात्री 1989 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित देश की प्रख्यात कथाकार कुर्रतुलऐन
हैदर का उपन्यास 'आखिर-ए-शब के हमसफर' एक उर्दू क्लासिक माना जाता है; 'निशान्त के
सहयात्री' उसका हिन्दी रूपान्तर है। 'आग का दरिया' और 'कारे जहां दराज' जैसे उपन्यासों
की लेखिका की कृतियों में ऐतिहासिक अहसास व सामाजिक चेतना के विकास का अनूठा सम्मिश्रण
है। 'निशान्त के सहयात्री' में यही अहसास और चेतना बहुत गाढ़ी हो गयी है यद्यपि यह
उपन्यास केवल 33 वर्षों (1939-72) की छोटी-सी अवधि में ही हमारी ऐतिहासिक और सामाजिक
परम्पराओं की विशालता को एक पैने दृष्टिकोण से अपने में समोता है। कहानी 1939 में पूर्वी
भारत के एक प्रसिद्ध नगर से आरम्भ होती है। पर वास्तव में यह पाँच परिवारों-दो हिन्दू,
एक मुसलमान, एक भारतीय ईसाई और एक अँग्रेज का इतिहास है जो आपस में एक दूसरे से जुड़े
हुए हैं। इस समय के क्रान्तिकारी परिवर्तन ने जन-सामान्य की मानसिकता, उसके नैतिक मूल्य,
आदर्श और उद्देश्य के प्रति दृष्टिकोण को प्रभावित किया। इस सबका बड़ा वास्तविक चित्रण
इस उपन्यास में है पर मानवीय संवेदना के साथ। उपन्यास के शिल्प ने कहानी की वास्तविकता
और जीवन्तता के सम्मिश्रण को और भी प्रखर करके जो रस का संचार किया है वही इस कृति
की विशेष उपलब्धि है। प्रस्तुत है इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास का एक और नया संस्करण.।
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