| Specifications |
| Publisher: Sanskriti Sanchalanalaya, Madhya Pradesh | |
| Author Mahadev Prasad Chaturvedi "Madhya", Dinkar Rao Dubey "Dinesh" | |
| Language: Nimadi And Hindi | |
| Pages: 582 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 10x7 inch | |
| Weight 1.06 kg | |
| Edition: 2009 | |
| HBN262 |
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'अखिल निमाड़ लोक परिषद् निमाड के साहित्य, संस्कृति, कला एवं संगीत की प्रतिनिधि संस्था है। परिषद् द्वारा निमाडी साहित्य, संस्कृति, कला और संगीत का देश के अनेक प्रान्तों में गरिमामयी प्रदर्शन कर निमाड और निमाड़ी की पहचान बनाने में योगदान रहा है।
वैसे तो अब निमाड और निमाडी परिचय की मोहताज नहीं रही और निमाडी को सुनकर समझने में भी अन्य भाषी जनों को विशेष असुबिधा भी नहीं हो रही है, परन्तु निमाडी लिखने-पढ़ने में स्वयं निमाड़ी भाषियों की भी कठिनाई और असुविधा को दृष्टिगत रखते हुए परिषद् के विद्वान साहित्यकारों ने लम्बे समय तक गहन चिन्तन कर यह दायित्व अंगीकार किया कि निमाडी की लिपि का मानक स्वरूप निर्धारित करके निमाडी को बोली से भाषा पद तक पहुंचाना चाहिए।
परिषद् के तत्कालीन अध्यक्ष स्व. श्री गौरीशंकरजी शर्मा 'गौरीश' के सभापतित्व में निमाडी लिपि का मानक स्वरुप निर्धारण करने बावत परिषद् की प्रारम्भिक बैठक की गई थी, जिसमें लगभग सम्पूर्ण निमाड के अधिकांश निमाडी विद्वान साहित्यकारों ने भागीदारी की।
निमाड़ी शब्दकोश व्याकरण, अलंकार और लिपि निर्धारण के लिए परिषद् की अनेक बैठकों में सदस्यों तथा जनपद के अन्य साहित्य चिन्तकों ने अन्तिम रूप से यह निर्णय किया कि श्री महादेव प्रसाद जी चतुर्वेदी 'माध्या' को निमाड़ी व्याकरण और शब्दकोश तैयार करने हेतु अनुरोध किया जाय। परिषद् के अनुरोध पर माध्या जी ने यह कार्य पूर्ण निष्ठा एवं सक्रियता के साथ किया है।
जीवन भर तक निमाड़ी को समर्पित वयोवृद्ध साहित्यकार बडवाह के श्रद्धेय श्री दिनकर राव जी दुबे 'दिनेश' ने स्वप्रेरणा से ही एक निमाड़ी अलंकार का निर्माण किया है।
परिषद् के विद्वान साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और निमाड़ व निमाड़ी के समर्पित व्यक्तित्वों के सहयोग, मार्गदर्शन तथा उत्साहवर्धन से ही अब निमाड़ी व्याकरण और वृहत लगभग तीस हजार शब्दों के निमाडी शब्दकोश का निर्माण किया जा सका है।
अपनी मातृभाषा की समृद्धि का स्वप्न संजोये हुए सम्पूर्ण निमाड़ के साहित्यकारों, विद्धजनों, कवियों और लेखकों ने उत्साहपूर्वक रुचि लेकर परिषद् के निर्णय अनुसार अपने बुनियादी सुझाव एवं अपने-अपने क्षेत्रों में प्रयुक्त ठेठ निमाडी शब्द परिषद् को प्रेषित किये, जिनमें सर्वश्री गिरीशजी उपाध्याय-खरगोन, श्री महेश कुमारजी साकल्ये-काटकूर (कसरावद), श्री रतनजी प्रेमी-पलसूद (बडवानी), श्री गोविन्दजी सेन-मनावर (धार), श्री रमेशचंद्रजी यादव 'मित्र' खण्डवा, श्री रमेशचन्द्रजी तोमर 'निमाड़ी' दवाना (बडवानी), श्री रमेशचंद्रजी शर्मा-गोगावां, श्री दिनकररावजी दुबे 'दिनेश' बड़वाह, श्री कुँवर उदयसिंह 'अनुज'-धरगांव (महेश्वर), श्री मोहनजी परमार-खरगोन आदि द्वारा प्रेषित निमाडी शब्दों को श्री माध्या जी ने शब्दकोश में शामिल किया है।
निमाड़ी शब्दकोश के सृजन में परिषद् के श्री मणिमोहन जी चवरे 'निमाड़ी' की महत्त्वपूर्ण एवं समर्पण भाव से अहम भूमिका रही है। श्री चवरे ने अपने निवास-पूना से पन्द्रह दिनों तक श्री महादेव प्रसाद जी चतुर्वेदी के साथ रहकर अपने द्वारा वर्षों से संकलित निमाड़ी शब्दों को निमाड़ी शब्दकोश में संयुक्त कर शब्दकोश के व्याकरणीय स्वरुप में भी अहम भूमिका निभाकर जन्मभूमि के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वाह किया है। अर्थात् अनेक कसौटियों पर कसने के बाद तीस हजार शब्दों का यह व्याकरणीय स्वरुप वाला हिन्दी अर्थ सहित व्याकरणिक मूल्यांकन किया हुआ 'निमाड़ी-हिन्दी शब्दकोश, व्याकरण और अलंकार' आपके समक्ष है।
निमाडी शब्दकोश व व्याकरण निर्माण कर प्रकाशन की कसौटी पर खरा उतरने तक में 'अखिल निमाड़ लोक परिषद्' के समस्त आजीवन सदस्यों की अपनी-अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यह कहना अधिक सार्थक होगा कि भाषा पद् की सिद्धि हेतु परिषद् द्वारा आयोजित निमाड़ी यज्ञ में परिषद् के आजीवन सदस्यों की ही प्रमुख समिधा रही है।
निमाड़ी के शास्त्रगत साहित्य, शब्दकोश व व्याकरण के प्रकाशन हेतु मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति मंत्री व संस्कृति संचालनालय ने जो सक्रियता व निष्ठा प्रदर्शन कर प्रदेश की एक बोली को भाषा पद हेतु अग्रसर किया है- अखिल निमाड़ लोक परिषद् उनके इस पुनीत सहयोग से स्वयं को सदैव ऋणी अनुभव करेगी । ग्रंथ के प्रकाशन के समय श्री माध्या जी अब हमारे बीच नहीं हैं, यह पुस्तक स्व. माध्या जी को आदरपूर्वक समर्पित है।
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