| Specifications |
| Publisher: Star Publications Pvt. Ltd. | |
| Author Edited By Rama Shankar Shukla, Joseph W. Raker | |
| Language: English and Hindi | |
| Pages: 511 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9.00x6.00 inch | |
| Weight 780 gm | |
| Edition: 2009 | |
| ISBN: 9788186264221 | |
| HBO508 |
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यद्यपि भारत में कोश रचना की पद्धति संसार से सबसे पुरानी है किन्तु आधुनिक कोश रचना की वैज्ञानिक पद्धति अंग्रेजों की देन है। 18वीं और 19वीं शताब्दी में एक बड़ा व्यापक अनुष्ठान हिन्दी, हिन्दुस्तानी और अंग्रेजी के कोशों के निर्माण को लेकर हुआ जिसमें ईसाई मिशनरियों, प्रशासनिक अधिकारियों ने बड़े पैमाने पर योगदान दिया और 19 वीं शताब्दी के अन्त तक इस दिशा में जो भी महत्वूण कार्य हुए वे सारे एक प्रकार से उन्हीं की देन है। सन् 1808 में विलियम हंटर के हिन्दुस्तानी-इंग्लिश कोश से इस काम का शुभारम्भ हुआ और बराबर इसके संस्करण होते रहे। एम.टी. आदम, डा. गिल क्राइस्ट, जान शेक्सपीयर आदि ने इस दशा में प्रारम्भिक कार्य किये। लेकिन यह सारा का सारा कार्य रोमन लिपि में होता था।
1829 में पादरी एम.टी. आदम के कोश में सबसे पहले देवनागरी लिपि का भी प्रयोग हुआ। जान शेक्सपीयर इस दिशा में सन् 1861 तक बराबर महत्वपूर्ण कार्य करते रहे। फैलेन ने 'ए न्यू हिन्दुस्तानी इंग्लिश डिक्शनरी का निर्माण किया जो कोश विधा की दृष्टि से इनमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया। 19वीं शताब्दी के अन्त में भारत में इस संबंध में जागरण आरम्भ हुआ और कोश रचना की प्रक्रिया स्वतः आरम्भ हुई। अनेक विद्वानों ने हिन्दी-अंग्रेजों कोश के संबंध में समय-समय पर काम किए, साथ ही शासन की ओर से भी व्यापक पैमाने पर कार्य किया गया।
सबने अपनी-अपनी दृष्टि से कार्य किए और सबके काम की अपनी विशेषताएं हैं, किन्तु लोक और ज्ञान दोनों को संतुलित मात्रा में रखकर कोश रचना की प्रक्रिया की दृष्टि से 'हिन्दी अग्रेजी/अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश' का एक अभिनव अवदान इस दिशा में है, जिसकी अपनी विशेषताऐं हैं।
अंग्रेजी से हिन्दी के अनेक कोश है और हिन्दी से अंग्रेजी के भी कोश कई है, किन्तु संयुक्त रूप से कोई ऐसा कोश नहीं है जिसके माध्यम से एक ही कोश के द्वारा दोनों कार्य सिद्ध हो सकें। पठन-पाठन तथा सरकारी क्षेत्र में इसकी आवश्यकता अत्यन्त व्यापक रूप से अनुभव की जा रही थी जिसका समाधान प्रस्तुत कोश के माध्यम से होता है। इसकी शब्द सम्पदा भी व्यावहारिक रूप से पर्याप्त है और जन साामान्य और सामान्यतः विद्वत जगत का काम इससे चल सकता है। इसके साथ ही एक अच्छी बात है कि शब्दों के अंग्रेजी अच्चारण देवनागरी लिपि में भी दिय गये है जिससे उच्चारण का संज्ञान सामान्य रूप से अध्ययता को हो जायेगा। इसके साथ ही शब्द चयन की प्रक्रिया में सजगता बरती गई है और यह प्रयत्न किया गया है कि वांछित शब्द सम्पदा इस कोश में आ जायें।
आज सरकार में हिन्दी के कामकाज के लिए कोशों की आवश्यकता का अनुभव बड़े व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है और इसके निराकरण के लिए इस कोश में प्रशासनिक शब्दावली भी दे दी गई है. जिससे सामान्य व्यवहार में अत्यन्त सुविधा मिलेगी। शब्दों की अर्थ साधना में भी सजगता बरती गई है। इस तरह मेरी दृष्टि में संयुक्त रूप में प्रकाशित यह 'अंग्रेजी-हिन्दी व हिन्दी अंग्रेजी कोश' इस दिशा में एक गौरवशाली, गम्भीर और लोक हितकारी प्रयास है। मुझे विश्वास है कि सभी क्षेत्रों में इसके गुण होने के कारण सम्मान होगा और ज्ञानजगत इसे गरिमा प्रदान करेगा।
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