| Specifications |
| Publisher: Satyam Publishing House, New Delhi | |
| Author Rashmi Pandey | |
| Language: Hindi | |
| Pages: 181 | |
| Cover: HARDCOVER | |
| 9x6 inch | |
| Weight 350 gm | |
| Edition: 2025 | |
| ISBN: 9789359099163 | |
| HBI300 |
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अपनी समृद्ध विरासत के लिए भारत विश्व भर में जाना जाता है। भारत की पारम्परिक और सांस्तिक विविधता आज भी गाँवों में संरक्षित और प्रचलित है। गाँधीजी के शब्दों में 'भारत की आत्मा गाँवों में निवास करती है। गाँधीजी स्वतंत्र भारत के विकास में गाँवों के महत्व पर जोर देते थे और गाँवों के लिए पूरक कुटीर उद्योग के विचार का समर्थन करते थे। गाँधीवादी दृष्टिकोण आत्मनिर्भर समुदायों और मनुष्य तथा प्र.ति के बीच संतुलन पर केंद्रित है। एक आर्थिक इकाई के रूप में 'आत्मनिर्भर भारत में कुटीर उद्योग आर्थिक विकास की संभावनाएँ' की अवधारणा एक सराहनीय कदम है। निसंदेह 'आत्मनिर्भर' भारत के निर्माण में कुटीर उद्योग की महती भूमिका है।
देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर आज भी कुटीर उद्योगों पर काफी हद तक निर्भर करती हैं। कुटीर उद्योगों में कम पूंजी की मदद से अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता हैं। यही नहीं इसके जरिए अधिक मात्रा में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराए जा सकते हैं। भारत में कुटीर उद्योगों में लोगो को मिल रहे रोजगार को देखते हुए सरकार भी इन पर विशेष ध्यान दे रही है।
वर्तमान में भारत विश्व में मजबूत आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है। विश्व बैंक एवं अन्य अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं की रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की 10 वृहद अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, चाहे औद्योगिक उत्पादन दर हो अथवा वार्षिक विकास वृद्धि दर इन सब में निरंतर वृद्धि की प्रवृत्ति देखी जा रही है इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष सबसे जटिल समस्या पूर्ण रोजगार प्राप्त करना रहा है।
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